2026 से दो बार सीबीएसई 10वीं बोर्ड परीक्षा, एक्सपर्ट्स बोले- सभी सब्जेक्ट में सुधार का मौका क्यों नहीं?

 

CBSE New Policy: सीबीएसई ने 2026 से दो बार 10वीं बोर्ड परीक्षा कराने का फैसला लिया है, जिससे छात्रों को ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी मिलेगी और स्ट्रेस कम होगा। नई पॉलिसी के तहत फरवरी और जून में परीक्षाएं होगी। अगर पहली बार छात्र बेहतर न कर सकें, तो उनके पास दूसरा मौका होगा।

CBSE 10th Exam Twice a Year
सीबीएसई 10वीं बोर्ड परीक्षा साल में दो बार (फोटो-TOI) (फोटो- महाराष्ट्र टाइम्स.कॉम)
CBSE Board Exam Flexibility from 2026 : साल 2026 से 10वीं बोर्ड की दो बार परीक्षा के साथ सीबीएसई परीक्षा में फ्लेक्सिबिलिटी ला रही है। अगर पहली बार में किसी भी वजह से परीक्षा अच्छी नहीं हो पाती है, तो स्टूडेंट के पास तीन महीने बाद दूसरा मौका है। नई व्यवस्था के तहत पहली परीक्षा फरवरी में और दूसरी परीक्षा जून में होगी

यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत शिक्षा प्रणाली को ज्यादा लचीला और छात्रों के अनुकूल बनाने की दिशा में उठाया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस नीति से बोर्ड एग्जाम का तनाव कम होगा।

स्टूडेंट्स फ्रेंडली है दो बार बोर्ड एग्जाम

हालांकि, उनका यह भी मानना है कि अगर पहली बोर्ड परीक्षा (फरवरी) के बाद स्टूडेंट को सुधार के लिए दूसरी परीक्षा (जून) में सभी सब्जेक्ट देने का और परीक्षा की तैयारी के हिसाब से अलग-अलग सब्जेक्ट अलग-अलग परीक्षा में देने का मौका दिया जाता, तो इस नीति का और फायदा होता। विशेषज्ञों का कहना है कि नीति स्टूडेंट्स फ्रेंडली है, बशर्ते तकनीकी से लेकर एकेडमिक, हर पहलू पर बारीकी से काम किया जाए।

सभी सब्जेक्ट में सुधार का मौका क्यों नहीं?

सीबीएसई के पूर्व चेयरपर्सन अशोक गांगुली कहते हैं, परीक्षा तनाव ना बने, इसी को देखते हुए नीति लाई गई है और निश्चित तौर पर यह एग्जाम का तनाव दूर करेगी। मगर जब इस नीति के साथ लचीलापन लाया ही जा रहा है, तो स्टूडेंट्स को अलग-अलग सब्जेक्ट को अलग-अलग बोर्ड एग्जाम में देने का मौका दिया जा सकता है।

जैसे स्टूडेंट पहली परीक्षा में तीन सब्जेक्ट की परीक्षा दे दे, दूसरी परीक्षा में बाकी दो-तीन सब्जेक्ट की दे दे। कुल मिलाकर जब वो परीक्षा के लिए तैयार हो, एग्जाम दे। यही राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी कहती है। दूसरा, तीन सब्जेक्ट में इम्प्रूवमेंट का मौका दिया जा रहा है, यह सभी सब्जेक्ट में किया जा सकता है।
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1200 घंटे की लर्निंग पूरी करना जरूरी

गांगुली कहते हैं, साल में लर्निंग आवर 1200 घंटे अनुमानित होने चाहिए मगर विशेषकर बोर्ड क्लासेस में यह नहीं हो पाता है। बच्चों की किसी भी लर्निंग एक्टिविटी में बाधा ना आए, इसलिए एक परीक्षा मार्च में और दूसरी जुलाई में होगी, तो यह नीति और फायदेमंद साबित ही। हम जुलाई की परीक्षा कम अंतराल में करवा सकते हैं। व्यवस्था अच्छी और कामयाब तब है, जब सीखने के 1200 घंटे हों, अकैडमिक सेशन वही रहे और बोर्ड अच्छी तैयारी करें।
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